हर समय गुलज़ार साहब नहीं आते : यह है कमाल का जोक
वो फ़र्श की धूल पे पड़े चंद पैरों के निशान वो चाय के दो सूखे कप वो ख़ामोश दाल के सूखे बर्तन वो सूखी पड़ी चाय की पत्ती से भरी बेजान छन्नी. इसका अर्थ है कि.. आज कामवाली नहीं आई हर समय गुलज़ार साहब ही नहीं आते...
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