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अगले साल बुक फेयर जाने से पहले रखें ये सावधानियां

इस साल का 4 से 12 जनवरी तक दिल्ली के प्रगति मैदान पर आयोजित किया गया। इसमें दुनियाभर के लेखकों की हजारों किताबें खरीदी और बेची गईं। रविवार को का आखिरी दिन था। यही सोचकर मैं भी शनिवार को वहां गया। गया तो था मैं एक रीडर बनकर लेकिन जब तक लौटा तो एक छोटा-मोटा लेखक मुझमें भी आ चुका था। कुल मिलाकर बुक फेयर मुझे कुछ ऐसा दिखा... - सबसे पहला तो आप वहां मेट्रो से ही जाएं. गलती से अगर अपने निजी वाहन से जा रहे हैं तो अगले बुक फेयर तक ही पहुंच पाएंगे। - हिंदी भाषी हैं तो अंग्रेजी हॉल में ना जाएं। अगर अंग्रेजी भाषी हैं तो भी इंग्लिश हॉल में ना जाएं। बहुत भीड़ होती है। किताबों की नहीं, लोगों की। - बुक फेयर में दिमाग सेट करके जाएं कि क्या खरीदना है वरना लौटते समय Astro की जगह Sextro और जियोग्राफी की जगह बायॉग्राफी की किताबें खरीद लाएंगे। - बुक फेयर आपको पता लगता है कि देश में इतने प्रकाशक हैं जितने कुल रीडर भी नहीं होंगे। अगर आप भी पब्लिशर बनना चाहते हैं तो कुछ ना करें। कोई भी नाम लें और आगे प्रकाशन या पब्लिकेशन लगा दें। जैसे- राव, उमराव, सदाशिव राव पब्लिकेशन। - अगर सोशल मीडिया के पोस्ट्स को कंपाइल करके किताब प्रकाशित करने वाला कोई लेखक मिल जाए तो उससे बात करें और उसके बारे में जानें। उससे समझें कि आखिर वह क्या चीज है जो उसे आगे किताब लिखने से रोक सकती है। - अगर कोई नया-नया यानी भ्रूण लेखक आया हुआ हो तो उसकी तरफ देखकर चाल में ना फंसें। अगर उसकी तरफ देख लें तो साथ में फोटो बिल्कुल ना खिंचवाएं। फोटो खिंचवाते समय उसके हाथों का ध्यान रखें। अगर नहीं रखेंगे तो हो सकता है कि फोटो खिंचने से पहले ही आपके हाथों में उसके साइन वाली बुक हो। सावधानी हटी, सौ-डेढ़ सौ की चपत लगी। - अगर आप वीकेंड में यहां जाने की सोच रहे हैं तो Book Fair आपके लिए Book Fear बन सकता है। - कोई जानकार मिले तो उसे ठीक वैसे ही इग्रोर करें जैसे वह आपको करेगा। - कितना ही थक जाएं, उल्टी करने का मन हो, सिर दर्द करे, हाथ-पैर टेढ़े हो जाएं लेकिन वहां अंदर चाय बेचने वालों से चाय ना खरीदें। - अगर नए-नए रीडर हैं तो किताबें खरीदकर उन पर डिस्काउंट ना करवाएं, डिस्काउंट देखकर किताबें खरीदें। - बाहर लोगों को देखकर कुछ खाने पीने का मन ना बनाएं। उनकी ओर देखें और फिर जो मुंह में पानी आए, उसी से काम चलाएं। - किसी प्रकाशन में कोई जानकार काम करता हो तो उसका पूरा लाभ उठाएं और अपने बाकी दोस्तों का भी फायदा कराएं। देखें: दिल्ली बुक फेयर में किताबों से ज्यादा बिके छोले भटूरे


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